संतो सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए, नम आंखों से दी श्रद्धांजलि
संत महात्माओं, भक्तो सहित राज्यमंत्री पटेल ने किए श्रद्धासुमन अर्पित
साईखेडा – साई खेड़ा के नजदीक बोरास उदयपुरा नर्मदा तट पर श्रीराम जानकी मंदिर के संत नर्मदा क्षेत्र के संत श्रीराम बाबा ने रविवार शाम साढ़े चार बजे अपना शरीर त्याग दिया था। इसके बाद रात भर उनके अंतिम दर्शन करने के लिए बोरास घाट जाने वालों का सिलसिला जारी रहा। इस दौरान उनके शिष्यों ने नम आंखों से पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। सोमवार दोपहर ग्यारह बजे उनकी अंतिम यात्रा बोरास कुटी से प्रारंभ हुई। जिस मूल मंत्र को जिंदगी भर वह गाकर श्रीराम बाबा बने उसी मूल मंत्र श्रीराम जय राम, जय जय राम को उनकी अंतिम यात्रा में भक्त गाते जा रहे थे। बोरास से गुजरते हुए लोगों ने पुष्प वर्षा कर बाबा जी को नम आंखों से अंतिम विदाई दी। यात्रा मां नर्मदा के तट पर पहुंची, यहां उपस्थित साधु संत, क्षेत्र के मूर्धन्य विद्वान पंडितों ने संत परंपरा के अनुसार उनके अंतिम विधि-विधान संपन्न कराए। इसके बाद उनकी नश्वर देह को सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करने वाले श्रीश्री 1008 परमहंस श्रीराम बाबा जी ने 108 साल पूर्ण होने पर चिर समाधि ली। और विलीनीकरण आंदोलन स्थान पुण्य सलिला मां नर्मदा की गोद मे बड़ी नाव में रखकर मां नर्मदा की गोद में समाधिस्थ कर दिया गया।
अंतिम यात्रा में बापौली वाले ब्रह्मचारी महाराज, सिद्धघाट वाले दादा जी चौरास कुटी से दादाजी सहित क्षेत्र के संतो की उपस्थिति देखी गई। इसके अलावा गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित गैरतगंज, बेगमगंज, सिलवानी, विदिशा, नरसिंहपुर, साईखेड़ा क्षेत्र के श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे और श्रीराम बाबा को अंतिम विदाई दी गई।साई खेड़ा के बुजुर्ग द्वारा ऐसा बताया जाता कि बताते बरमान से आकर साई खेड़ा पंडित रामगुलाम दीक्षित और अज्जुदी सोनी के घर रूकते थे और दिन-रात श्रीराम जय राम जय जय राम का जाप करते थे यहां उनके अनेक भक्त है।
सोमवार को दोपहर में राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने बोरास कुटी पहुंचकर गोलोकवासी संत श्रीराम बाबाजी के पवित्र संदेशों, उनसे जुड़ी यादों का स्मरण करते हुए बाबाजी के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि पूज्य बाबाजी का आशीर्वाद सदैव हम सभी के साथ रहेगा और उनके पुण्य विचार आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।
कहा जाता है श्रीराम बाबा के वारे में कई किवदन्तियां है। नरेंद्र शिवाजी पटेल ने बताया कि बाबा जी टपरिया वाले घरों में जाते थे और उनके अटरिया बन जाती थी तो दूसरी टपरिया में जाते थे ऐसे सन्त थे श्रीराम बाबा
परमहंस श्रीराम बाबा पूर्ण विरक्त, मुक्त आध्यात्मिक संत थे। निरंजनी अखाड़े से सम्बद्ध श्रीराम बाबाजी का दुनिया में कोई आश्रम, परम्परा व्यवस्था से अन्य संपत्ति नहीं थी। वे आजीवन पूर्ण परमात्मा पर निर्भर परम्परा के सन्यासी रहे। इस परम्परा के आदि भगवान शिव को माना जाता है, जिनका अस्तित्व ही प्रकृति है और प्रकृति ही परमात्मा। परमहंस श्रीराम बाबा के देवलोक गमन पर समूचे भक्तमण्डल में रामजप भाव है। परमहंस श्रीराम बाबाजी सदैव शोकमुक्त, परम तत्वदर्शी सम्प्रदाय के जनक और अनंत आनंद के प्रेरक रहे हैं। उनके निर्वाण पर सभी में रामजप भाव है।
श्रीराम बाबा को विनम्र श्रद्धांजलि शत् शत् नमन
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