श्री श्री १००८ श्री धूनीवाले दादाजी की कृपा से एवं पूज्य गुरुमहाराज श्री छोटे सरकार जी महाराज के पावन सानिध्य में साईंखेड़ा क्षेत्र में सर्वप्रथम नानी बाई का मायरा की कथा 1 अप्रैल सोमवार से 4 अप्रैल गुरुवार, 2024 तक श्री श्री १००८ श्री दादा दरबार, गाडरवारा रोड, साईंखेडा
में आयोजित की जा रही है
इसमें कथा वाचक पुज्या कृष्णप्रिया जी, श्री धाम वृंदावन से पधार रही है, कथा दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक होगी उसके साथ ही पूरे दिन दरबार में वेदपाठ, दादाजी महाराज की आरती, भजन सत्संग का दौर चलता रहेगा, चारों दिन भक्त श्री छोटे सरकार जी महाराज के दर्शन प्राप्त कर सकते है
साथ ही देश विदेश से सैकड़ों की संख्या में भक्त साईंखेड़ा आकर श्री दादाजी की कृपादृष्टि प्राप्त करेंगे
नानी बाई का मायरा’ भक्त नरसी की भगवान कृष्ण की भक्ति पर आधारित कथा है जिसमें ’मायरो’ अर्थात ’भात’ जोकि मामा या नाना द्वारा कन्या को उसकी शादी में दिया जाता है वह भात स्वयं श्री कृष्ण लाते हैं, नानी बाई नरसी जी की पुत्री थी और सुलोचना बाई नानी बाई की पुत्री थी, सुलोचना बाई का विवाह जब तय हुआ था तब नानी बाई के ससुराल वालों ने यह सोचा कि नरसी एक गरीब व्यक्ति है तो वह शादी के लिये भात नहीं भर पायेगा, उनको लगा कि अगर वह साधुओं की टोली को लेकर पहुँचे तो उनकी बहुत बदनामी हो जायेगी इसलिये उन्होंने एक बहुत लम्बी सूची भात के सामान की बनाई उस सूची में करोड़ों का सामान लिख दिया गया जिससे कि नरसी उस सूची को देखकर खुद ही न आये।
नरसी जी को निमंत्रण भेजा गया साथ ही मायरा भरने की सूची भी भेजी गई परन्तु नरसी के पास केवल एक चीज़ थी वह थी श्री कृष्ण की भक्ति, इसलिये वे उनपर भरोसा करते हुए अपने संतों की टोली के साथ सुलोचना बाई को आर्शिवाद देने के लिये अंजार नगर पहुँच गये, उन्हें आता देख नानी बाई के ससुराल वाले भड़क गये और उनका अपमान करने लगे, अपने इस अपमान से नरसी जी व्यथित हो गये और रोते हुए श्री कृष्ण को याद करने लगे, नानी बाई भी अपने पिता के इस अपमान को बर्दाश्त नहीं कर पाई और आत्महत्या करने दौड़ पड़ी परन्तु श्री कृष्ण ने नानी बाई को रोक दिया और उसे यह कहा कि कल वह स्वयं नरसी के साथ मायरा भरने के लिये आयेंगे।
श्री दादा दरबार परमार्थ ट्रस्ट के द्वारा सभी धर्मप्रेमी बंधु भगनियो से कथा रसपान कर धर्म लाभ उठाने का निवेदन किया गया है