मुझे मेरी हंसती खेलती बेटी वापस करें स्कूल प्रबंधन –बिलखती मां
हमें यदि पहले सूचना मिलती तो शायद हमारी बच्ची जीवित होती –आहत पिता
बिजनौर, चांदपुर। जिले के शहर चांदपुर में वेदिक कन्या इंटर कालेज के सामने संचालित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर स्कूल में दिनेश कुमार ( उर्फ पंडित) निवासी मोहल्ला चिम्मन चांदपुर की 5 वर्षीय पुत्री कक्षा 1 में पढ़ती थी । रोज की भांति 19 जुलाई 2025 को भी यशिका स्कूल जाती है लेकिन आज के दिन वह स्कूल की छुट्टी होने पर नहीं बल्कि छुट्टी के समय से लगभग 1 घंटा पहले ही स्कूल से दिनेश कुमार के पास फोन आता है कि आपकी लड़की की तबियत ठीक नहीं है आप जल्दी आकर इसे ले जाइए। सूचना पाकर दिनेश कुमार और उनकी पत्नी ज्योति तंवर स्कूल से अपनी पुत्री को लेने जाते हैं तो वहां जाकर उनके होस उड़ जाते हैं क्योंकि यशिका अपने प्राण लगभग त्याग चुकी थी लेकिन स्कूल वाले यह कहकर भेज देते हैं कि ये अचानक बेहोश हो गई है आप इसे किसी डॉक्टर को दिखा लीजिए। दिनेश कुमार अपनी पत्नी के साथ बच्ची को लेकर नजदीकी निजी अस्पताल में दिखाते हैं तो डाक्टर बच्ची को देखते ही कह देते हैं कि आप इसे जहां चाहे दिखा सकते हैं बाकि इसमें प्राण लगभग नहीं बचें हैं लेकिन फिर भी एक पिता की ये उम्मीद कि शायद बच्ची बच जाय और माता की वेदना उन्हें बच्ची को बिजनौर के निजी अस्पताल में ले जाने के लिए मजबूर कर देती है जहां उसे जांच आदि करके डाक्टर मृत घोषित कर देते हैं। बच्ची के पिता ने स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन की वजह से मेरी बच्ची की जान गई है उनका कहना है कि स्कूल में यशिका के साथ पढ़ने वाले बच्चों के अनुसार उसकी तबियत पहले- दूसरे घंटे (अर्थात 8:30 बजे)से ही खराब थी लेकिन स्कूल प्रबंधन लापरवाही दिखाता रहा और परिजनों को लगभग 5 वे घंटे( लगभग 11:00 ) में सूचित किया और इस बीच स्कूल प्रबंधन बच्ची को उचित प्राथमिक उपचार भी उपलब्ध नहीं करा पाता है। बच्ची के पिता का कहना है कि यदि स्कूल प्रबंधन हमें पहले सूचना देता तो शायद हमारी बच्ची बच जाती । वहीं बच्ची की मां का भी रो-रोकर बुरा हाल है। रोती बिलखती मां स्कूल प्रबंधन से अपनी हसंती खेलती बच्ची मांग रही है बता दें कि दिनेश कुमार के तीन बच्चे थे दो लड़के और एक लड़की अब इस घटना के बाद केवल दो लड़के ही रह गये हैं। तो क्या वाकई यदि स्कूल प्रबंधन थोड़ी सतर्कता बरतता तो शायद बच्ची की जान बच सकती थी यह सवाल तो अब प्रश्नवाचक चिन्ह के साथ ही रहेगा क्योंकि जो होना था हो गया लेकिन फिर स्कूल प्रबंधन को अपने इस कृत्य पर अफसोस व्यक्त करना चाहिए। स्कूल प्रबंधन को चाहिए कि पीड़ित परिवार से मिले और उनका ढांढस बंधाये ताकि एक मां और एक पिता का दिल स्कूल प्रबंधन को क्षमा करने की हिम्मत जुटा सके क्योंकि अपने को खोने का दर्द वही समझ सकता है जो इस नाजुक मोड़ पर अपनों को खो देते हैं।


